और उस ने उन से कहा, तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो। (मरकुस 16:15)
ईस अनंत विस्व में पुराने जमाने से मानव के मान में यह प्रसन आग रहा है कि भगवान कौन है? सृष्टिकर्ता है? भगवान है या नही? अगर भगवान है तो कैसे होता है? सृष्टि करने के लिए सृष्टिकर्ता चाहिए वह सृष्टिकर्ता "भगवान एहोवा" है! बैबील में लिखा गया है कि "एहोवा" आत्मस्वरूप और सृष्टिकर्ता है! पहले दिन भगवान ज्योति केलिए करने से ज्योति आया था! भगवान अंधकार और को अलग किया था! भगवान ज्योति को 'दिन' और अंधकर को रात का नया दिया था! दूसरे दिन भगवान जल के बीच एक विशाल के लिए कहने से विशाल आ गया और भगवान उस विशाल को आकस का नाम दिया था| तीसरे दिन आकाश के नीचे सारे जल एक प्रदेश में आने के लिए और सूखने के लिए कहा या और जल सुखकर सुखी प्रदेश निकलने के लिए कहा था| और सुखी प्रदेश को 'भूमि' का नाम दिया था| जल सही को सागर का नाम दिया था| चौते दिन भगवान हो प्रमुख ज्योतियाँ माने दिन को पालने के लिए बडा ज्योति और रात को पालने के लिए छोटा ज्योति , नक्षत्र को बनाया था| पाँचवी दिन भगवान भूमि पर, आकाश और जलपर जीव का आविर्भाव होने के लिए कहा था| छवे दिन में भगवान अपने स्वरूप में मानव का सृजन किया था| स्त्री और पुरुष का सृष्टि करके आसिर्वाद दिया था| इस प्रकार सृष्टिकर्ता भगवान (एहोवा) सृष्टि का आविर्भाव किया था|.
2000 वर्ष के पह्लो भगवान इसमसीह को इस लोक में भेजा था परिशुध ग्रांध लोकारक्षक इसमसीह के बारे में की पूर्व 750 वर्ष के पह्ले एशायह7:14 में भगवान अपने आप एक सूचना आप को दिखयोगा सुनिए! इसमे लिखा गया है की कन्या गर्भवती हेकर लड़के को जन्म देकर उसे 'इम्मानियोल' का नाम दिया था| वेद और अन्य मतग्रांधो मे लिखा गया वाक्य उधहरण की लिए "इसा पुत्रम चमाम विद्धि कुमारी गर्भम" लिखा गया था| इसका अर्ध हे कि यह जानना है कि "भगवान का पुत्र कन्या के गर्भ से जन्म लेगा"| इसलिए परिशुधा ग्रांध मे एशाया प्रवक्ता के प्रवचन नूतन निभंधन मे मत्ती सुवार्ता 1:22 मे इस तरह सच लिखा गया है "धेखो कन्या गर्भवती होकर लड़का का जन्म ढेंगी उस लड़कों को 'इम्मानियोल' का नाम रखेगा"| प्रभु अपने प्रवक्ता के द्वरा कहा गया वाकय सच कहने के यह सब निकशिप्त हुआ| 'इम्मानियोल' नाम का अर्ध भगवान हम सब का साथी है| तब एसेपू नींद से जागा कर प्रभु का दूत कहने के अनुसार अपने पत्नी का स्यान टिया था | वह पुत्र का जन्म टेने वक्त उसे नही जानता था| वह उस पुत्र को ईसू का नाम टिया था |..
Q3. इसमसीह इस लोक मे क्यो आया था ?
हर मानव जन्म से कर्म से पापी है| कोई भेद नही है| सब लोग पाप कर्म करके भगवान का अनुग्रह प्राप्त नही कर सकते है| रोमा3:23 अन्य मत ग्रंथों में भी लिखा गया है कि "सर्व पाप परिहरार्ध रक्त प्रोक्सण मवश्यकाम! तध रक्तम प्रमाथमैन, पुन्यधन बलियगम"! अर्थात सब मानव पाप परिहरार्थ परिशुद्ध खून का बलिदान करना चाहिए| उस खून परिशुद्ध परमतमा का होना चहिए| इसलिए पाप से हमे शास्वात के लिए विमुक्त करने के लिए सृष्टिकर्ता भगवान उसका बेटा इसमसीह के सरिरधारणा करके इस लोक में भेजा था|.
Q4. इसमसीह हमारे लिए कयो जान दिया ?
मनवा का पाप परिहार बकरियाँ आदि जावरोंसे का खून से नही है सकता| इसमसीह पाप परिहरार्ध शास्वात बलि टेकर (हेबरी 10:12) उन्होने सिलुवा पर अपने आप अर्पित करके उसके खून द्वरा हमें पापों से मुक्ति का अनुग्रह किया था| इसतरह इसमसीह हमसे लिए जान टेकर तिसरो दिन में फिर उट्कर आया था|.
Q5. इसमसीह को हम क्यों प्रार्थना करना है ?
आप के अपराध और पापों से, आप म्रत्य सय्या मे रहने पर आप का रक्षण किया था| फिर भी भगवान करुणा से अपने प्रेम से हमे म्रत्य से रक्षा किया था| हमे यह जानना है कि सृष्टि पर हमारे निवास शिदिल होगया| हमारे लिए भगवान से निर्मित असली निवास परलोक मे है|.
Q6. भगवान को हम कैसे प्रार्धना करना है ?
हम भगवान को प्रर्दान करना है तो पहलो हम यह जानना है कि इसमसीह भगवान का बेटा है सिर्फ इसमसीह के द्वरा ही हम भगवान के राज्य के पहुन्चा सकते है| संपूर्ण हृदय से, संपूर्ण आत्मा से, संपूर्ण मन से उनका आराधना करना है| विग्रह का आराधना नही करना चाहिए, क्यो कि भगवान आत्मस्वरूप है| उसे आराम से पवित्र मन से प्रार्धना करना चाहिए| रविवार भगवान केसामेन प्रार्धना करना चाहिए| आप का जान, अत्म, सरीर को उसके स्वाधीन करके पवित्र मन से प्रार्धना करने से उसका आराधना कर सकते है|.
तुम्हारे भगवान एहोवा तो मे ही हू, मेरे अलावा और कोई भगवान तुम्हे नही रहना चाहिए| ऊपर आकाश पर, नीचे भूमि पर, भूमि के नीचे जल पर हेने वाल, किसी रूप को, विग्रह नही बनाता चाहिए| उन्हे आत्मा प्रणाम नही करना है| उनकी पूजा नही करना चाहिए| क्यो की तुम्हारे भगवान 'एहोवा' पौरुष का भगवान है| 'इसमसीह' ही मार्ग, इसमसीह ही सत्य, इसमसीह ही जीव, हर व्यक्ति धुटनो पर इमुक कर हर व्यक्ति के जुबान पर इसमसीह का नाम होने के लिए इसमसीह प्रभु को मानने के लिए भगवान उसे ऊपर रखते हुए नाम से ऊपर का नाम उसे प्रधान किया था| यह सब सुनकर यह जानना है कि भगवान पर भय, भक्ती रख कर उसके नियम को अनुसार चलना है| मानव यही कर्तव्य है| रहस्य चिज के बारे मे भगवान विमर्षा करते समय उन्होने यह प्रमाणित करता है कि वह अच्च है या बुरा है!